Ayushi Singh

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जब कभी बहुत तेज़ धूप जीवन में सताती है, दिन भारी लगने लगता है, हल्की घबराहट और टीस का पसीना रीढ़ की हड्‌डी में महसूस होता है… तब कंचे और जुगनू की कल्पना के बादल धीरे से आकर सूरज को ढँक लेते हैं। एक ठंडी हवा बहने लगती है। मैं पहाड़ों में बैठे तथागत की कहानी लिखने लगता हूँ और मुझे ठंडक महसूस होने लगती है।
Tumhare Baare Mein (Hindi Edition)
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