Ayushi Singh

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शायद कुछ कहानियाँ कभी पूरी नहीं होंगी। हम हमेशा उन क्षणों को कोसते रहेंगे, जिन क्षणों में हमने आख़िरी वाक्य उन कहानियों में लिखे थे और अपनी डेस्क से उठ गए थे। काश हम अपनी डेस्क न छोड़ते, काश हम उन्हें पूरा कर लेते—उस वक़्त। नई कहानियाँ अधूरी कहानियों के बोझ तले शुरू नहीं होतीं। वे कुछ वाक्यों के बाद ही दम तोड़ देती हैं। शायद नई कहानियाँ अधूरी कहानियों की पीड़ा सूँघ लेती हैं और छूट जाती हैं।
Tumhare Baare Mein (Hindi Edition)
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