Vivek Singh

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उन्मादी है। भीड़ जिसे बदला लेना है। भीड़ जिसे तुम्हें तुम्हारी औक़ात दिखानी है। भीड़ जिसे अपट्रॉन की टीवी चाहिए। भीड़ जिसे कुकर चाहिए, भीड़ जिसे ज़ेवर चाहिए। भीड़ जिसे लड़की चाहिए। भीड़ जिसे पगड़ी चाहिए। भीड़ जिसे ख़ून चाहिए। सरदारों का ख़ून और ख़ून तो गुरनाम के साथ ही मुँह लग गया था।
Chaurasi/चौरासी/84 (Hindi Edition)
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