Vivek Singh

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देर तक मुस्कुराती हुई मनु सीढ़ियों पर बैठी रही। प्रेम के मसले दरअसल, प्रेम तक ही सीमित होते हैं। दुनियावी बवालों, सियासती अहवालों और मज़हबी सवालों से प्रेमी अछूते ही रहते हैं।
Chaurasi/चौरासी/84 (Hindi Edition)
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