Vipin Kumar

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छोड़ रहा है। अपनी टुच्ची खुदगर्जी में वह सिर्फ अपने दर्द में डूबा रह जाता है--कुत्ते की तरह अपने घाव को चाटता हुआ। वे पीछे छूटे लोग वंदनीय हैं, जो पीड़ा के दंश से चीखते हुए फिर अपने कर्मपथ
MUJHE CHAND CHAHIYE (Hindi Edition)
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