Abhishek Anand

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जो वस्तु जैसी होनी चाहिये, वैसी वह स्वयं नहीं बनती। वैसी बननेके लिये कर्ताकी भावनाका सहयोग होना आवश्यक है। कर्ताकी भावनाके बिना ऐसा होना सम्भव नहीं है, अतः कर्ता सदा स्वतन्त्र होता है।
Shiv Puran (Sanshipt), Code 1468, Hindi, Gita Press Gorakhpur (Official) (Hindi Edition)
by Vedvyas
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