भगवान् बड़े हैं, सो उनके पास बड़ा होना चाहिए, हम इनसान छोटे लोग हैं, सो अपना छोटे या छुट्टे से काम चल जाता है। पाप भले ही उजाले में करो, लेकिन पुण्य का काम हमेशा अँधेरे में करना चाहिए। पुण्य की खबर किसी को कानोकान नहीं होनी चाहिए, पुण्य छोटा हो जाता है, इसलिए अँधेरा कर लिया था।”