ही दीन मुद्रा बनाकर मुझसे बोले, “लक्ष्मी विष्णुप्रिया हैं, किसी की प्रिया को अपने पास बंधक बनाकर रखो तो वह विरह में काली हो जाती है। तुम जानते हो कि मुझसे किसी का दर्द नहीं देखा जाता, दो प्रेमियों को आपस में मिला देना सबसे बड़ा पुण्य है, सो लक्ष्मी को विष्णुजी से मिलाने का काम कर रहा था।