Prateek Singh

36%
Flag icon
मैं बहुत बड़े तंत्र का एक छोटा या यंत्र हूँ, यंत्र कितना ही बड़ा हो जाए, किंतु तंत्र से बड़ा नहीं हो सकता। इसलिए तंत्र तो यंत्र को देख सकता है, किंतु यंत्र में तंत्र तक पहुँचने की हैसियत नहीं है।”
Maun Muskaan Ki Maar (Hindi Edition)
Rate this book
Clear rating