“हम जैसों के लिए व्यक्ति की विशेषता प्राप्त करने से कहीं अधिक कल्याणकारी विचार की विलक्षणता को प्राप्त करना है, क्योंकि कोई भी व्यवस्था व्यक्ति से नहीं, विचार से संचालित होती है। हम सामान्य लोग किसी की बदनामी पर अपने नाम की इमारत नहीं खड़ी करते। किसी को मिटाकर स्वयं को बनाने में हमारा विश्वास नहीं है। किसी की अप्रतिष्ठा पर हम अपनी प्रतिष्ठा का महल खड़ा नहीं करते। हम समाज को सुधारने में नहीं, स्वयं को सुधारने में विश्वास रखते हैं, क्योंकि हमें हमारे संत मनीषियों ने सिखाया है कि ‘हम सुधरेंगे, तो जग सुधरेगा।’