अचानक नारदजी को होश आया कि वे माया में फँस चुके थे, उन्हें बहुत ग्लानि हुई कि हाउ कम आई गॉट स्टक इन दिस माया? भगवान विष्णु उनके सामने खड़े मुसकरा रहे थे, भगवान बोले कि नारद जो माया के आगे चले, वह ‘मायापति’ होता है और जो माया के पीछे चले, वह ‘मायावी’ कहलाता है।