Prateek Singh

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चारों तरफ पसरा हुआ कोलाहल उनके लिए एक नीरव शांति था। उनके बहरेपन से उपजी शांति ही उनके अबाधित आनंद का स्रोत थी और वे बोल भी नहीं सकते थे, क्योंकि वे सिर्फ बहरे ही नहीं गूँगे
Maun Muskaan Ki Maar (Hindi Edition)
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