Prateek Singh

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यह भारत है, हम स्वार्थ नहीं परमार्थ की संस्कृति के पोषक हैं, यहाँ अपना नहीं दूसरे का दर्द, दौलत और दबदबा महत्त्वपूर्ण होता है। हम ‘उधार ही उद्धार है’ के मंत्र पर चलनेवाले उद्धारक हैं, हमारी इसी उद्धारक वृत्ति के कारण ही संसार हमें विश्व गुरु कहता है। तुम अपनी भाषा के प्रति आग्रही होकर हमारी छवि को विश्व में कलंकित मत करो। उदारता ही धार है, यही तो उधार है। इसलिए यह देश उधार पर चलता है, चाहे भाषा हो या पैसा, प्यार हो या व्यापार, संस्कृति हो या संपत्ति, सारे विश्व में जो भी श्रेष्ठ था, नियम-कानून से लेकर शिक्षा पद्धति तक, हमने सबका गटर्रा बना लिया है। संसार के कल्याण के लिए यदि हमें स्वयं का, ...more
Maun Muskaan Ki Maar (Hindi Edition)
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