आतंक से ज्यादा खतरनाक अराजकता होती है। भ्रष्टाचार से ज्यादा घातक तुम जैसों का मिथ्याचार है। मैं विशुद्ध देहाती भारतीय हूँ, विशिष्टता की चाह में अशिष्टता करनेवालों की नकेल कसना हमें खूब आता है। अपने छोटे से स्वार्थ के लिए इस बड़े देश की अस्मिता और आन के साथ मत खेलो। किसी देश की प्रगति को जितना खतरा युद्ध से नहीं होता, उससे ज्यादा गृहयुद्ध से होता है। अपने लोग हुज्जत करने के लिए और इज्जत करवाने के लिए होते