जनप्रतिनिधियों की विशिष्टता को नष्ट करना जनतंत्र को नष्ट करना है, लोकतंत्र आम आदमी को खास बनाता है, खास को आम बना देना लोकतंत्र के विरुद्ध चलने जैसा है। देश व्यवस्था से चलता है, और व्यवस्था बत्ती से बनती है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हमारे चौराहों पर लगी लाल, पीली, हरी बत्तियाँ हैं। जहाँ पर लालबत्ती नहीं होती और ट्रैफिक को बत्ती विहीन आदमी के जरिए कंट्रोल करवाया जाता है, वहाँ पर ट्रैफिक जाम हो जाता है। एक किस्म की अराजकता फैल जाती है, लोग एक-दूसरे पर चढ़ पड़ते हैं। हम बढ़ नहीं पाते, चारों तरफ शोर-शराबा होता है और इन्होंने...पूरे देश से बत्ती गुल कर दी, जिससे हम एक-दूसरे पर चढ़ जाएँ?