अपने ही हाथों को अपने ही हाथ से मिलाकर ‘हाथ जोड़ना’ व्यक्ति के स्वार्थी होने की घोषणा है, किंतु अपने हाथ को दूसरे के हाथ से मिलाकर ‘हाथ मिलाना’ व्यक्ति के परमार्थी स्वभाव को चिति करता है। तुम स्वार्थ से प्रेरित थे और मैं परमार्थ से। इसलिए तुम दुःख भोग रहे हो और मैं सुख।