Prateek Singh

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गंध व्यक्ति के विवेक का हरण कर लेती है, इसी सिद्धांत पर दुनिया भर में इत्र का, परफ्यूम का, डीओडरंट का और उससे जुड़ी विज्ञापन फिल्मों का अरबों-खरबों का व्यापार चल रहा है। भोजन की गंध ही भूख को बढ़ाने और पचानेवाले एंजाइम्ज शरीर में छोड़ती है। सो कानून की सिर्फ आँख बंद करने से काम नहीं चलेगा, उसकी नाक भी बंद करना आवश्यक है, जिससे विवेक भ्रमित न हो, क्योंकि विवेक सुनकर भले ही प्रभावित न हो, किंतु सूँघकर निश्चित ही प्रभावित होता है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण बिस्पाद जैसे साधारण से वकील का असाधारण जमानतवीर वकील के रूप में प्रतिष्ठित होना है। संसार में लोगों के व्यक्तित्व की खुशबू फैलती है, किंतु एडवोकेट ...more
Maun Muskaan Ki Maar (Hindi Edition)
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