“आप सत्य कह रहे हैं, रामजी का सुख ही हमारा सुख है, उन्हें दुखी रखकर एक राष्ट्र के रूप में हम कभी सुखी नहीं हो सकते, क्योंकि राम मात्र कोई व्यक्ति या पूज्य अवतार ही नहीं हैं, ये हमारी चेतना का आधार-स्तंभ हैं और कोई भी सभ्यता, संस्कृति, सौहार्द, शांति, शिक्षा, विकास को पुष्पित, सुरभित, पल्लवित व फलित होने के लिए आधार की आवश्यकता होती है, ये निराधार खड़े नहीं हो सकते।