पहले निरक्षरता थी तो मरने के बाद भी आत्माएँ भोंदू ही रहती थीं, भूत बनने के लिए उनको मरना पड़ता था। अब साक्षरता का परचम चारों ओर फहरा रहा है, अब भूत बनने के लिए मरने की जरूरत नहीं है। साक्षरता के कारण अब जीवित होते हुए भूत बनने की कला में ये पारंगत हैं। जिंदा भूत मरे हुए भूत से ज्यादा खतरनाक होता है, साहब। पहले मरने के बाद कब्र खोदी जाती थी, अब ये जिंदा भूत आपके जीते जी ही आपकी कब्र खोद देते हैं। गड़े मुरदे उखाड़ने में तो ये एक्सपर्ट होते हैं। ये जादू भी जानते हैं, अच्छे-भले मनुष्य को गधा और उल्लू बनाने में तो महारथ हासिल है इनको। अब