Prateek Singh

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अब उन्हें आँसू भी नहीं निकलते, क्योंकि आँसू तो वेदना की उत्पत्ति होते हैं, विवेक की नहीं, चूँकि उनपर समाज को न्याय देने की जिम्मेदारी है, न्याय वेदना पर नहीं, विवेक पर आधारित होता है। कुछ लोगों का मानना है कि व्यक्ति का विवेक जागता ही तब है, जब उसकी वेदना मर जाती है।
Maun Muskaan Ki Maar (Hindi Edition)
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