सब्र का फल हर कोई चाहता है, किंतु कब्र का फल कोई भी नहीं चाहता। 2. जिसने सब्र किया है, वही उसके फल का आनंद उठाए यह आवश्यक नहीं, किंतु सब्र करनेवाले के परिजन अवश्य ही उसके फल का आनंद उठाते हैं। 3. आज का प्रेरणास्रोत कल की प्रतारणा का स्रोत होता है। 4. लाल को राम बनाने में नहीं, बल्कि राम के लाल होने में ही भलाई है। 5. हम अपनी कब्र अपने ही खोदते हैं। 6. कब्र खुदने और कब्र में दफनाए जाने के बीच का समय ही नर्क है। इसलिए अपनों को साधकर रखिए, ताकि वे आपके जीते जी ही आपकी कब्र न खोद दें। 7. कुछ लोगों के जीते जी हाथ जोड़ें या मरने के बाद वे दोनों ही सूरतों में आपके अकल्याण का कारण होते हैं। 8. अतीत और
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