कष्ट में मैं नहीं, तुम जैसे गुटबाज होते हैं। तुम्हारा देखना, सुनना, बोलना ही कष्ट का कारण होता है। अब तुम मेरे रहस्य को जान गए हो, जो मेरे सुख के साथ-साथ तुम्हारे सुख के लिए भी घातक है, इसलिए तुम्हें धप्पू बनाना अत्यावश्यक है, और मंद मुसकराहट लिये उन्होंने मेरे गले को पतली छुरी से रेत दिया।