Prateek Singh

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परसाईजी ने ‘वैष्णव की फिसलन’ की भूमिका में लिखा था—‘व्यंग्य की प्रतिष्ठा इस बीच साहित्य में काफी बढ़ी है। वह शूद्र से क्षत्रिय मान लिया गया है।’ व्यंग्य साहित्य में ब्राह्म‍ण बनना भी नहीं चाहता, क्योंकि वह कीर्तन करता
Maun Muskaan Ki Maar (Hindi Edition)
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