भाईसाहब निश्चित मानसिकता वाले व्यक्ति को अनिश्चित मानसिकता वाले व्यक्ति में रूपांतरित करने में महारथी थे। इस उद्देश्यहीन दिव्यात्मा का एकमात्र उद्देश्य था कि लोगों के उद्देश्य में शामिल होकर उन्हें निरुद्देश्य कर देना और स्वयं को उनके काउंसलर, उनके पथप्रदर्शक के रूप में प्रचारित करना।