साधारण लोगों को तो आजकल मरे हुए भूत भी घास नहीं डालते, फिर जिंदा की बात तो आप भूल ही जाएँ। उनके आकर्षण का केंद्र बनने के लिए पहले आपको प्रसिद्ध होना पड़ेगा। वे सिर्फ उन्हीं को दिखाई देते हैं, जो कुछ हों, आखिर उनकी भी कुछ इज्जत है। डाका वहाँ डाला जाता है, जहाँ कोई खजाना हो। भिखारियों के घर में चोर नहीं घुसते, लूट वहाँ होती है, जहाँ लूटने के लिए कुछ हो, आपके पास है ही क्या? जो वे आपको दिखाई दें? पहले उनके दर्शन की पात्रता प्राप्त कीजिए, फिर उनके अस्तित्व पर प्रश्नचिंह लगाइए। आपने रेल का टिकट खुद लिया या किसी ने आपको स्पोंसर किया है?”