यदि अच्छे शिकारी किसी कारणवश शेर का शिकार नहीं कर पाते, तो पहले वे गीदड़ को शेर बनाकर प्रतिष्ठित करते हैं। फिर गीदड़ को शेर की मौत मारते हैं। इससे उनकी श्रेष्ठतम शिकारी होने की प्रतिष्ठा बची रहती है, क्योंकि वे इस सत्य से भलीभाँति परिचित होते हैं कि संसार यह देखकर प्रभावित नहीं होता कि शिकारी ने कैसे शिकार किया? बल्कि संसार इस बात को स्मरण रखता है कि शिकारी ने किसका शिकार किया? शेर को गीदड़ की मौत मारना यदि उन्हें महानतम शिकारी की प्रतिष्ठा देता है, तो गीदड़ को गीदड़ की मौत मारना, उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल कर उन्हें गीदड़ के स्तर पर खड़ा कर देता है।