Prateek Singh

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दोनों भाई समवेत स्वर में बोले, “हम दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इस सिक्के को सँभालकर रखना माँ की जिम्मेदारी ही नहीं मजबूरी भी है, क्योंकि बाजार में मम्मी नहीं, सिक्का ही चलता है।”
Maun Muskaan Ki Maar (Hindi Edition)
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