Prateek Singh

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अपने को इग्नोर होता देख, मैंने जब-जब विद्रोह किया, इसने तब-तब मुझे मारा। शरीरों की एक अच्छी आदत होती है कि वे संगठित होना जानते हैं, क्योंकि शरीर को यह पता है कि वह अगर अकेला आत्मा से लड़ा तो परास्त हो जाएगा, इसलिए जैसे ही कोई आत्मा जगी या उसने विद्रोह किया तो बहुत से शरीर मिलकर उस आत्मा का गला घोंट देते हैं, उसको मारने का काम करते हैं, सो हम हार जाते हैं। इस मामले में हम आत्माएँ बहुत कमजोर
Maun Muskaan Ki Maar (Hindi Edition)
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