क्योंकि शरीर को यह पता है कि वह अगर अकेला आत्मा से लड़ा तो परास्त हो जाएगा, इसलिए जैसे ही कोई आत्मा जगी या उसने विद्रोह किया तो बहुत से शरीर मिलकर उस आत्मा का गला घोंट देते हैं, उसको मारने का काम करते हैं, सो हम हार जाते हैं। इस मामले में हम आत्माएँ बहुत कमजोर हैं, ये निजता को महत्त्व देती हैं, इसलिए कभी कोई आत्मा किसी दूसरी आत्मा का साथ नहीं देती।