Prateek Singh

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हम जैसे आमजन विशेष होने में नहीं, शेष होने में विश्वास रखते हैं, क्योंकि विशेष सीमित होता है और शेष असीमित। हम तंत्र के उपासक हैं, तांत्रिक के नहीं। हम साधारण लोग व्यवस्था और विचार के पक्षधर होते हैं, व्यक्ति के नहीं, क्योंकि व्यक्ति आते-जाते रहते हैं, किंतु व्यवस्था सदैव वर्तमान होती है। इसलिए हम आम लोग व्यवस्था के लिए व्यक्ति को बदलते हैं, व्यक्ति के लिए व्यवस्था को नहीं बदलते।
Maun Muskaan Ki Maar (Hindi Edition)
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