Kuldeep Singh

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तुम्हारी राह में मिट्टी के घर नहीं आते इसीलिये तो तुम्हें हम नज़र नहीं आते मुहब्बतों के दिनों की यही ख़राबी है यह रूठ जायें, तो फिर लौटकर नहीं आते
Charag (Hindi Edition)
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