Pratibha Pandey

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पिता कोई वस्तु दे तो पुत्र सहज उल्लास के साथ साधिकार उस वस्तु को थाम लेता है...न उसे पिता की कृपा के बोझ की अनुभूति होती है, न कोई अपराध-बोध उसे भीतर से गलाता है...किन्तु पुत्र के हाथों...वह भी उसे वंचित करके...
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बंधन : महासमर भाग - १
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