Pratibha Pandey

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काम, विवेक के लिए मादक द्रव्य है पुत्र! जब तक काम का आधिपत्य है, विवेक निश्चेष्ट रहता है। काम का ज्वार उतर जाता है तो विवेक बताता है कि वह व्यवहार, वह कामना, वह चिन्तन–सब जैसे उन्मत्त का स्वप्न था।...ऐसे
बंधन : महासमर भाग - १
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