अहंकार भी तो अनेक प्रकार का हो सकता है...धन का, बल का, बुद्धि का, चरित्र का, त्याग का...यहाँ तक कि निर्धनता का भी...पर अहंकार तो पतन के मार्ग पर ही ले जायेगा...तो अहंकार से ही मुक्ति पानी होगी... पर अहंकार तो तभी गलेगा, जब मन में तुलना न हो। और तुलना का नाश करने के लिए तृष्णा का नाश करना पड़ेगा। लोभ से पीछा छुड़ाना पडेगा...
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