Indra  Vijay Singh

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“आदर न धन से मिलता है, न ज्ञान से, न यश से, न कुल से–आदर केवल आचरण से मिलता है देवि! इसलिए मेरा सबसे अधिक बल आचरण की शुद्धता पर है। आचरण शुद्ध रहे तो अनादर का कोई भय नहीं है।”
बंधन : महासमर भाग - १
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