और तभी से देवव्रत के मन में परिवार, समाज और संसार को ले कर अनेक प्रश्न उठते रहे हैं।...परिवार क्या है? पति-पत्नी का परस्पर आकर्षण एक-दूसरे को सम्मान और स्वतन्त्रता देने में है या अपने सुख के लिए अन्य प्राणी को अपनी इच्छाओं का दास बना लेने में? यदि दूसरे पक्ष के सुख के लिए स्वयं को खपा देना परिवार का आधार है तो दूसरे पक्ष की कामना ही क्यों होती है? स्त्री-पुरुष विवाह क्यों करते हैं–अपनी रिक्ति को भरने के लिए या दूसरे पक्ष के अभावों को दूर करने के लिए, या परस्पर एक-दूसरे का सहारा बन, अपनी-अपनी अपूर्णता को पूर्णता में बदलने के लिए?...वात्सल्य क्या है? व्यक्ति, सन्तान अपने सुख के लिए चाहता है?
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