Indra  Vijay Singh

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अम्बालिका, राजमाता को देखती थी और चकित हो कर सोचती थी कि सत्यवती एक ही समय में इतनी समर्थ, अधिकारयुक्त, नियन्ता; और दूसरी ओर दीन, असहाय और आर्त्त कैसे हो जाती है। जो इस प्रकार क्रुद्ध हो कर सबसे लड़ सकती है, वह इस प्रकार अनाथ के समान रोती क्यों है।...और कितनी क्रूर है राजमाता: जैसे वाणी का कोई संयम ही नहीं है।
बंधन : महासमर भाग - १
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