Indra  Vijay Singh

61%
Flag icon
तृष्णा, अधिकार-लालसा, प्रतिस्पर्धा–यह सब मानवता का शृंगार नहीं है माँ! इनसे किसी का न उद्धार होता है, न उत्थान! इनसे पतन ही होता है।”
बंधन : महासमर भाग - १
Rate this book
Clear rating