Indra  Vijay Singh

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निराशा को जीवन से निकाला जायेगा, तो उससे जो शून्य बनेगा, वह रिक्त नहीं रहेगा–आशा आ कर उसमें डेरा डालेगी। आशा तभी टिकेगी, जब कुछ अर्जन होगा।…पर अर्जन तो कोई उपलब्धि नहीं है।
बंधन : महासमर भाग - १
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