“मुझे मालूम नहीं माँ!” विदुर बोला, “कि धृतराष्ट्र का हित किसमें है: उसे उसकी वीरता और शस्त्र-परिचालन की पारंगतता का झूठा विश्वास दिलाने में या स्पष्ट शुद्ध सत्य उसके सम्मुख रख देने में। दम्भ भरा असत्य जीवन जीने से अच्छा है कि व्यक्ति स्वच्छ और सत्य जीवन व्यतीत करे, चाहे वह असुविधापूर्ण ही क्यों न हो।”