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मुझे स्पष्ट लगा कि आँसू मन के सारे कलुष धो देते हैं। दृष्टि साफ हो जाती है। जिसका जीवन भर अनुभव नहीं होता, उसका अनुभव होने लगता है। जो जीवन में दिखाई नहीं देता, वह दिखाई देने लगता है। शायद परमात्मा का भी मनुष्य को बोध न होता, यदि उसे कष्ट न होता।
प्रलय (कृष्ण की आत्मकथा-VIII)
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