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जीवन का मोह छोड़कर आज अपने पराक्रम का परिचय दीजिए, देव! यदि विजयी होगे तो मेरी माँग के सिंदूर की अरुणिमा और बढ़ जाएगी, अन्यथा हम दोनों साथ स्वर्गारोहण करेंगे।’’
प्रलय (कृष्ण की आत्मकथा-VIII)
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