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मैं ज्यों-ज्यों झुकता गया त्यों-त्यों दुर्योधन का अहं बढ़ता गया। वह आवेश में बोला, ‘‘पाँच ग्राम क्या, मैं सुई की नोक के बराबर भूमि भी बिना युद्ध के नहीं दे सकता।’’
प्रलय (कृष्ण की आत्मकथा-VIII)
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