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‘युद्धक्षेत्र में अर्जुन की हर शंका का समाधान करनेवाले, ‘गीता’ का उपदेश देनेवाले, आखिर इस समय तुम पराजित हो गए।’ सारा सन्नाटा शून्य की एक बीभत्स खिलखिलाहट में बदल गया। फिर एक आवाज ब्रह्मास्त्र की तरह मुझपर मारी गई—‘तुम क्या उत्तर दोगे, इसका उत्तर कालदेवता देगा।’
प्रलय (कृष्ण की आत्मकथा-VIII)
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