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न्याय कभी असमर्थ नहीं हुआ है। अभी भी असमर्थ नहीं है। जब न्याय असमर्थ हो जाएगा तब मानव सभ्यता मर जाएगी। मनुष्य जंगली हो जाएगा।’’
प्रलय (कृष्ण की आत्मकथा-VIII)
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