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नारी का प्रतिशोध नागिन से कम जहरीला नहीं होता—वह भी द्रौपदी का, वह तो आग है आग—यदि दूसरे को न जला पाई तो स्वयं जलकर राख हो जाएगी।
प्रलय (कृष्ण की आत्मकथा-VIII)
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