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‘‘आपद्धर्म की।’’ मैंने मुसकराते हुए कहा, ‘‘जब मनुष्य का अस्तित्व स्वयं खतरे में हो तब अपने अस्तित्व की रक्षा करना ही सबसे बड़ा धर्म है।
प्रलय (कृष्ण की आत्मकथा-VIII)
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