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‘‘हिस्सा मार देने में और हिस्सा स्वेच्छया दे देने में बड़ा अंतर है, मामाजी! एक में लोभ है और दूसरे में उदारता; एक में छल है और दूसरे में प्रेम; एक में त्याग है और दूसरे में अनीति।’’
प्रलय (कृष्ण की आत्मकथा-VIII)
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