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हर नारी पर किसी-न-किसी पुरुष का अधिकार होता है; तो इसका क्या मतलब है कि वह जहाँ चाहे, उसे नग्न कर सकता है? क्या नारी को समाज में जीने का अधिकार नहीं? उसकी अपनी अस्मिता नहीं? जिस समाज में नारी का स्वाभिमान नहीं, वह समाज जानवरों से भी गया-बीता होगा।’’
प्रलय (कृष्ण की आत्मकथा-VIII)
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