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‘‘जब व्यक्ति संघर्ष में पड़ता है, युद्ध में पड़ता है तब वह उन्हें याद करता है। तुम शांति और सुख के समय याद नहीं किए जाते। शायद तुम्हारे प्रति नियति की यही इच्छा रही है। संघर्ष में ही तुम्हारा जन्म हुआ, संघर्ष ने ही तुम्हें पाला-पोसा और आज भी संघर्ष ही तुम्हारे साथ है।’’
प्रलय (कृष्ण की आत्मकथा-VIII)
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